गेहूं उत्पादन में सरकार और व्यापारियों के अनुमानों की खाई: 2024 में कीमतों पर क्या पड़ेगा असर? जानें पूरा गणित

गेहूं उत्पादन में सरकार और व्यापारियों के अनुमानों की खाई: 2024 में कीमतों पर क्या पड़ेगा असर? जानें पूरा गणित: भारत में गेहूं के उत्पादन को लेकर सरकार और व्यापारियों के बीच हर साल जो ‘आंकड़ों का युद्ध’ छिड़ता है, 2024 में भी वही नज़ारा है। केंद्र सरकार ने इस साल 1154 लाख टन गेहूं पैदावार का अनुमान जताया है, जबकि प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और व्यापारी 1100 लाख टन से ज्यादा उत्पादन को ‘अव्यावहारिक’ बता रहे हैं। यानी, दोनों पक्षों के बीच 50 लाख टन का गैप बना हुआ है। यह अंतर सीधे तौर पर बाजार में गेहूं की सप्लाई और कीमतों को प्रभावित करेगा।
पिछले सालों के अनुभव: हीटवेव और एक्सपोर्ट बैन ने कैसे बिगाड़ा था गेम?
2022 में हीटवेव के कारण गेहूं की फसल बर्बाद हो गई थी। उस समय सरकार ने 1077 लाख टन उत्पादन का दावा किया था, लेकिन व्यापारियों का कहना था कि असल आंकड़ा 950 लाख टन से भी नीचे था। नतीजा? घरेलू बाजार में गेहूं की किल्लत हुई और कीमतें आसमान छूने लगीं। सरकार ने तब गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर संकट को टाला था।
वर्ष | सरकारी अनुमान (लाख टन) | व्यापारी अनुमान (लाख टन) | कीमत (रु./क्विंटल) |
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2022 | 1077 | 950 | 3200 |
2023 | 1120 | 1050 | 2900 |
2024 | 1154 | 1100 | 2850 (वर्तमान) |
2024 में गेहूं कटाई का हाल: कौन से राज्य आगे, कहां देरी?
इस साल फरवरी-मार्च में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है। वहीं, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में कटाई अगले 2-3 हफ्तों में शुरू होगी। कृषि मंत्रालय का दावा है कि मौसम अनुकूल रहा है, इसलिए उत्पादन लक्ष्य हासिल होगा। लेकिन व्यापारी चेतावनी दे रहे हैं: “नमी और कीटों का प्रकोप उत्पादन की गुणवत्ता घटा सकता है।”
सरकारी भंडार और FCI की चाल: कितना गेहूं है स्टॉक में?
सरकार ने इस साल 310 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है ताकि PDS और अन्य योजनाओं को सप्लाई बनी रहे। 15 मार्च 2024 तक, सरकारी गोदामों में 124 लाख टन गेहूं मौजूद था, जबकि अप्रैल के लिए बफर स्टॉक की जरूरत सिर्फ 74.6 लाख टन है। यानी, स्टॉक पर्याप्त है। FCI ने पहले ही 30 लाख टन गेहूं ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत बेच दिया है, जिससे बाजार में कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
दामों का गणित: आगे गेहूं सस्ता होगा या महंगा?
दिल्ली मंडी में गेहूं का भाव पिछले 3 दिनों में 30 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 2850 रुपये पर पहुंच गया है। अब सवाल यह है कि आने वाले महीनों में कीमतें किस रुख में जाएंगी?
- सरकार का दावा: “उत्पादन अच्छा होगा और स्टॉक पर्याप्त है, इसलिए कीमतें 3000 रुपये/क्विंटल से ऊपर नहीं जाएंगी।”
- व्यापारियों की चिंता: “अगर सरकार निर्यात प्रतिबंध हटाती है तो घरेलू बाजार में गेहूं की कमी हो सकती है, जिससे दाम 3200 रुपये तक पहुंच सकते हैं।”
किसानों और उपभोक्ताओं के लिए क्या मायने?
उपभोक्ता: FCI के OMSS सेल और सरकारी स्टॉक के कारण राशन की दुकानों पर गेहूं की सप्लाई स्थिर रहेगी।
किसान: MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) इस साल 2275 रुपये/क्विंटल है। अगर बाजार भाव MSP से ऊपर रहता है तो किसानों को फायदा।